How to Change, Name Address in PAN Card | पैन कार्ड में नाम, पता कैसे बदलें |

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Introduction Pan Card सबसे महत्वपूर्ण कार्डों में से एक है जो सभी करदाताओं के पास होना चाहिए। यह भारत सरकार को लेनदेन पर कराधान का ट्रैक रखने में मदद करता है, और पहचान के निर्विवाद प्रमाण के रूप में भी कार्य करता है। हाल के विकास के साथ, भारत सरकार ने एक डिक्री पारित की … Read more

Important Information About Cancelled Cheque | Cancelled Cheque के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी |

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Introduction एक चेक एक परक्राम्य लिखत है जो बैंक को जारी करने वाले के बैंक खाते से एक विशिष्ट राशि का भुगतान करने का आदेश देता है जिसे यह जारी किया जाता है या निर्दिष्ट व्यक्ति या चेक के धारक के आदेश पर। एक चेक के तीन पक्ष हैं: चेक मे Drawer : वह व्यक्ति … Read more

Accounting मैं Depreciation क्या होता है | What is Depreciation in Accounting |

Accounting मैं Depreciation क्या होता है | What is Depreciation in Accounting | 

  Accounting मैं Depreciation क्या होता है | What is Depreciation in Accounting |  Introduction Hello दोस्तों हम यहाँ पर Accounting में इस्तेमाल होने वाले महत्त्वपूर्ण शब्द Depreciation के बारे में समझेंगे। Depreciation को हिन्दी में मूल्यह्रास भी कहा जाता है। Depreciation के बारे में जानने से पहले उसके विरोधी शब्द Appreciation के बारे में … Read more

व्यापार Accounting प्रक्रिया | Business Accounting Procedure |

व्यापार Accounting प्रक्रिया | Business Accounting Procedure |
व्यापार Accounting प्रक्रिया | Business Accounting Procedure |

Introduction

नमस्कार दोस्तों जब आप Accounting की Filed मैं आओगे तो आपको Business की Accounting करनी होगी। Business Accounting मैं आपको स्टेप बाय स्टेप काम करना होता है। ज्यादातर एक के बाद एक Follow करना चाहिए तो आपकी Accounting ठीक से पूरी होगी। इसमें ज्यादातर 9 स्टेप हे इसके बारे में आप आगे समझेंगे।

 

Opening Balance Sheet Entry

 

जैसे ही आप Accounting का काम शुरू करेंगे तो सबसे पहले आपको पिछले साल की Balance Sheet लेनी है। और इसकी सभी बैलेंस को Opening Balance मैं Entry करनी है। यहाँ पर जितनी भी Ledger है वह आपको क्रिएट करने होंगे। Opening Balance डालते समय आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना ज़रूरी है।  इस प्रकार है।

 

Opening Balance डालते समय आपको यह ध्यान रखना है। अगर Debit बैलेंस है तो Debit साइड जानी चाहिए। और Credit बैलेंस है तो Credit साइड जानी चाहिए। नहीं तो आपको Opening Balance Difference दिखाएगा।

 

Profit & Loss Account की Opening Balance कभी भी नहीं डालते हैं  क्योंकि प्रॉफिट एंड लॉस का अंतिम बैलेंस यानी Profit / Loss कैपिटल अकाउंट में ट्रांसफर हो के Profit & Loss Account Nil हो जाता है।

 

Profit & Loss मैं होने वाले Stock in Hand की ओपनिंग बैलेंस डालनी होगी। क्योंकि Stock in Hand Balance Sheet मैं Current Assets का पार्ट भी है।

 

जैसे ही आप सब ओपनिंग बैलेंस डाल दोगे आप देखोगे दोनों तरफ़ की (Debit / Credit) Balance एक ही रहेगी। अगर तो यह एक नहीं है। यहां आपने Opening Balance डालने में गलती की है।

 

 (Tip: अगर आपको Opening Balance का Difference दिख रहा है। तो आप पहले यह देखिए Debit / Credit Balance मैं से कोई भी Balance मिल रही है कि नहीं। अगर नहीं मिल रही है तो आप जितने भी Amount का Difference है उसको बैलेंस शीट में चेक करें। कहीं वह अमाउंट डेबिट की जगह पर क्रेडिट में तो नहीं लिख दिया।

 

जितने भी Amount का Difference उसको X2 करके बैलेंस शीट में चेक करें। कहीं वह अमाउंट डेबिट की जगह पर क्रेडिट में तो नहीं लिख दिया।

 

जितने भी Amount का Difference उसको ÷2 करके बैलेंस शीट में चेक करें। कहीं वह अमाउंट डेबिट की जगह पर क्रेडिट में तो नहीं लिख दिया।

 

नहीं तो पूरी Balance Sheet फिर से एक बार चेक करें आपको गलती मिल जाएगी।

 

अगर Debit / Credit में से किसी एक साइड की Balance मिल रही है। तो आप Difference Amount को 9 से ÷ करेंगे तो आपके सामने जो भी रक़म आएगी वह Desimal मैं नहीं है तो आप यह समझ जाए आपने किसी Amount लिखने में आगे पीछे कर दिया है। जैसे 45 को 54, 36 को 63 तो आप जिसमें साइड में Difference आ रहा है वह साइट चेक करें।

Accounting Entry

 

जैसे ही आपकी Opening Balance Tally हो जाती है आपको Accounting Entry शुरू करनी है। Accounting Entry मैं ज्यादातर

 
Sale: Sales Bill की एंट्रियाँ
 
Purchase: Purchase Bill की एंट्रियाँ
 
Receipt: Slip Book की एंट्रियाँ
 
Payment: Cheque Book की एंट्रियाँ
 
Credit Note: Sales Return / Credit Note की एंट्रियाँ
 
Debit Note: Purchase Return / Debit Note की एंट्रियाँ
 

Bank Reconciliation

 

जैसे ही आप सब Accounting Entry पास कर लेंगे उसके बाद आपको Bank Reconciliation करना होगा। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हम किसी पार्टी को ऑनलाइन पेमेंट करते हैं। और किसी पार्टी से ऑनलाइन पेमेंट आता है। तो इस स्थिति में हमें Bank Reconciliation करके ही पता चलेगा। एकाउंटिंग फाइनल करने से पहले बैंक की बैलेंस Tally होनी ज़रूरी है।

Cash Expenses / Cash Receipt Entry

 

जैसे ही आपने बैंक रिकॉन्सिलिएशन किया फिर आपको कैश रिसिप्ट (Cash Received on Sale) और Cash Expenses की सारी Entry करनी होगी।

 

# Opening Balance, Accounting Entry, Bank Reconciliation, Cash Expenses / Receipt Entry आप ने कर लिया आपकी Half Accounting पूरी हो गई। इसके बाद आपको Finalization तरफ़ आगे बढ़ना है।

 

Cash / Stock Negative Balance Check

 

जैसे कि आपने ऊपर वाली सभी Entry कर ली। उसके बाद आपको सबसे पहले Cash और Stock चेक करना है। कहीं उसमें Negative Balance तो नहीं है। कभी-कभी ऐसा होता है कंपनी के मालिक ने अपनी जेब से कुछ खर्चे करते हैं फिर वह पैसे बैंक से निकाल ते है। उस परिस्थिति में आपकी Cash 1 या 2 दिन के लिए नेगेटिव जाती है।  और कभी-कभी ऐसा होता है कि आप जो भी माल Sale करते हो तो सौ दोसौ ग्राम Quantity ज़्यादा बिक जाती है। तो भी स्टॉक नेगेटिव जाता है। तो आपको नीचे वाले एडजेस्टमेंट करने होंगे।

 

अगर तो आपकी कैश नेगेटिव जा रही है। तो आपको 2 या 3 दिन के लिए कैपिटल अकाउंट से कैश जमा करनी होगी। ताकि कैश नेगेटिव ना दिखे।

 

अगर तो आपकी Stock नेगेटिव जा रही है। तो आप Stock जनरल Entry करके Stock खड़ा कर लेंगे।

 

 (ध्यान रहे कि Stock और Cash पूरे साल में कौन से भी दिन में नेगेटिव जा सकता है। तो आपको यह ध्यान रखना होगा कि आपको पूरे साल में चेक करना होगा Day Wise।) 

 

Journal Entry

 

जैसे ही अपने Cash और Stock नेगेटिव से पॉजिटिव कर लिए आपको एडजस्टमेंट की जनरल एंट्री पांच करनी होगी।

 

आपको सभी GST अकाउंट को Nil करके Gst Payable / Receivable Account में ट्रांसफर करना होगा।

 

सभी Fixed Assets की Depreciation की एंट्री मारनी होगी।

 

Loan (Liability) मैं जिस-जिस को Interest दिया है उसकी भी एंट्री मारने होगी।

 

Loans & Advances / Deposits जिधर से भी इंटरेस्ट आया है उसकी एंट्री करनी होगी।

 

Capital Account जो भी Ledger है। उसको Nil करके Proprietor / Partner / Director के Account मैं ट्रांसफर करना होगा।

 

GP NP % Ratio

 

जैसे ही आपने सभी जनरल एंट्री पास कर ली फिर आपको GP (Gross Profit) NP (Net Profit) Ratio चेक करना है। ज्यादातर यह Last 3 Years के आस पास ही होना चाहिए। और अगर नहीं है तो आपके पास उसका सही से कारण होना चाहिए।

 

Income Tax के Rules के हिसाब से अगर आप Audit की Limit मैं नहीं हो। तो आपको 8% OR 6% से ऊपर NP दिखाना अनिवार्य है। नहीं तो आपको Audit करवाना पड़ेगा।

 

और अगर आपकी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है तो आपको 15% से ज़्यादा GP दिखाना होता है।

Stock Valuation

जैसे ही आपने रेश्यो फाइनल कर दिया आपको Stock Valuation चेक करना है। गवर्नमेंट के रूल के हिसाब से आप दो तरीके के Stock Valuation रख सकते हो।

 

FIFO (First In First Out) इसका मतलब यह है कि जो भी माल पहले आया है। वही माल पहले बिकेगा। ताकि आपके पास जो भी Stock बचेगा वह लास्ट Purchase ही होगा। 

 

Actual Valuation इसका मतलब यह है कि आपके पास जो भी स्टॉक बचा है उसकी एक्चुअल वैल्यू ही आप रखोगे। इसके लिए आपको एक Statement तैयार करनी होगी की कौन से परचेज बिल में से कितना Stock है।

Capital Account Transfer Entry

यह सब करने के बाद आपके Books of Account फाइनल हो गया है। और इसके बाद जितना भी आपके पास प्रॉफिट या लॉस बच्चा है उसको कैपिटल अकाउंट में ट्रांसफर करना है।

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